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आरती: आध्यात्मिक प्रकाश की ओर एक यात्रा

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आरती हिंदू धर्म में एक प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें दीपों (दीयों) को जलाकर भगवान की पूजा की जाती है। यह भक्ति का एक रूप है जो परमात्मा के प्रति श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करता है।

आरती का महत्व

आरती को प्रकाश और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, जो नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ाता है।

यह न केवल भगवान को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, बल्कि भक्तों के मन को शुद्ध और शांत करने में भी सहायक होती है।

आरती के दौरान बजने वाले घंटे, शंख और मंत्र का कंपन वातावरण को शुद्ध करता है।

आरती के प्रकार

मंगल आरती – प्रातःकाल भगवान को जगाने के लिए की जाती है।

श्रृंगार आरती – भगवान को सजाने के बाद की जाने वाली आरती।

संध्या आरती – सूर्यास्त के समय की जाने वाली आरती।

शयन आरती – रात में भगवान को विश्राम देने से पूर्व की जाती है।

प्रसिद्ध आरतियाँ

“ॐ जय जगदीश हरे” – सभी देवी-देवताओं के लिए गाई जाने वाली प्रसिद्ध आरती।

“जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा” – भगवान गणेश की आरती।

“शिव आरती – जय शिव ओंकारा” – भगवान शिव को समर्पित।

“आरती कुंज बिहारी की” – भगवान कृष्ण की महिमा गाने वाली आरती।

आरती का सही तरीका

भगवान के समक्ष दीपक जलाकर दक्षिणावर्त (घड़ी की दिशा में) घुमाना चाहिए।

आरती करते समय शंख, घंटी और जयकारे लगाना शुभ माना जाता है।

आरती के बाद दीपक की लौ से हाथ फेरकर अपने माथे और आँखों पर लगानी चाहिए।

आरती करने के लाभ

✅ मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धि।
✅ घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार।
✅ नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से सुरक्षा।
✅ आत्मा और परमात्मा के बीच गहरा संबंध स्थापित होता है।

🙏 “आरती सिर्फ एक पूजा विधि नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम का एक अनमोल माध्यम है।” 🙏

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