ॐ – अनादि अनंत की ध्वनि
‘ॐ’ (संस्कृत: ओम्) केवल एक अक्षर नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ध्वनि, ऊर्जा और चेतना का प्रतीक है। यह वो पवित्र ध्वनि है जिससे सृष्टि की उत्पत्ति मानी गई है। इसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, और सिख धर्म में इसका विशेष स्थान है।
आधुनिक समय में भी जब दुनिया ध्यान और मानसिक शांति की ओर बढ़ रही है, तो ‘ॐ’ का महत्व पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है।
ॐ का शाब्दिक अर्थ और उच्चारण
‘ॐ’ तीन ध्वनियों से मिलकर बना है — अ (A), उ (U), म (M)। ये तीन ध्वनियाँ तीन अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं:
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अ – जाग्रत अवस्था (Awake)
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उ – स्वप्न अवस्था (Dream)
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म – सुषुप्ति अवस्था (Deep Sleep)
जब हम ‘ॐ’ का उच्चारण करते हैं, तो यह ध्वनि धीरे-धीरे शांत होकर मौन (Silence) में विलीन हो जाती है – यह तुरीया (चौथी अवस्था) की ओर संकेत करता है, जो परमात्मा की अवस्था है।
धार्मिक ग्रंथों में ॐ का उल्लेख
1. वेदों में:
वेदों में ‘ॐ’ को ईश्वर का प्रतीक माना गया है। मंडूक्य उपनिषद के अनुसार, पूरा ब्रह्मांड ‘ॐ’ में समाहित है।
2. भगवद गीता में:
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा:
“ओंकार एकाक्षरं ब्रह्म…” — (अध्याय 8, श्लोक 13)
जिसका अर्थ है, “ॐ ब्रह्म का प्रतीक है।”
3. पतंजलि योग सूत्र में:
पतंजलि ऋषि ने कहा – “तस्य वाचकः प्रणवः”
जिसका अर्थ है – “ईश्वर का प्रतीक है प्रणव अर्थात ॐ।”
ॐ का वैज्ञानिक और मानसिक लाभ
‘ॐ’ का उच्चारण केवल धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी है। आइए जानें कैसे:
1. मस्तिष्क पर प्रभाव:
‘ॐ’ के उच्चारण से ब्रेन वेव्स अल्फा स्टेट में चली जाती हैं, जो ध्यान और शांति की अवस्था है।
2. नर्वस सिस्टम को शांत करता है:
ॐ के कंपन से सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम शांत होता है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है।
3. दिल की गति नियंत्रित होती है:
अनुसंधान से यह सिद्ध हुआ है कि ॐ के नियमित जाप से हार्ट रेट नियंत्रित होती है और बीपी सामान्य रहता है।
4. आत्म-जागरूकता में वृद्धि:
ध्यान के दौरान ॐ का जाप हमें अपने भीतर की यात्रा पर ले जाता है, जिससे आत्मबोध होता है।
ॐ और ध्यान (Meditation)
‘ॐ’ को ध्यान में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसकी ध्वनि भीतर की गहराइयों को छूती है।
कैसे करें ॐ का जाप ध्यान में:
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शांत स्थान पर बैठें।
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आंखें बंद करें और गहरी सांस लें।
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धीरे-धीरे ‘ॐ’ का उच्चारण करें – लंबी सांस के साथ।
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ध्वनि को महसूस करें – सिर से लेकर ह्रदय और नाभि तक।
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इस प्रक्रिया को 5 से 20 मिनट तक दोहराएं।
नियमित अभ्यास से:
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मन एकाग्र होता है
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नींद बेहतर होती है
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क्रोध पर नियंत्रण बढ़ता है
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आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होती है
ॐ के विभिन्न स्वरूप और प्रतीकात्मकता
स्वरूप | अर्थ |
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ॐ (अक्षर) | परमात्मा का प्रतीक |
ॐ की ध्वनि | ब्रह्मांड की मूल ध्वनि |
ॐ का चिन्ह | त्रिलोक (भू, भुवः, स्व:) का प्रतीक |
ॐ + नमः | कई मंत्रों में उपयोग जैसे “ॐ नमः शिवाय” |
ॐ से जुड़े मंत्र और उनके लाभ
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ॐ नमः शिवाय – भगवान शिव की उपासना के लिए
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ॐ गं गणपतये नमः – श्री गणेश जी की कृपा हेतु
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ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः – लक्ष्मी प्राप्ति हेतु
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ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः – विद्या और बुद्धि के लिए
इन मंत्रों के जाप से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि सांसारिक बाधाएँ भी दूर होती हैं।
विदेशों में ॐ की लोकप्रियता
आज ‘ॐ’ योग, ध्यान और वैदिक संस्कृति के कारण दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुका है। अमेरिका, यूरोप, जापान जैसी जगहों पर योगा क्लासेस में ॐ मंत्र का जाप आम बात है।
यह भारत की आध्यात्मिक धरोहर है, जिसे अब पूरा विश्व अपनाने लगा है।
ॐ का दुरुपयोग और सावधानियाँ
हाल के वर्षों में कुछ कंपनियों द्वारा ॐ को केवल एक फैशन सिंबल बना दिया गया है – जैसे कपड़ों, टैटू और गहनों में इसका गलत प्रयोग। हमें इस पवित्र चिन्ह का सम्मान करना चाहिए और इसका प्रयोग श्रद्धा से करना चाहिए।
निष्कर्ष: ॐ – आत्मा और परमात्मा को जोड़ने वाली ध्वनि
‘ॐ’ केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि यह वह ब्रिज है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। यह शरीर, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित करता है।
यदि हम अपने दैनिक जीवन में सिर्फ 5-10 मिनट ‘ॐ’ का जाप करें, तो न केवल मानसिक शांति मिलेगी बल्कि जीवन में स्थिरता और दिव्यता भी आएगी।
आप भी आज से शुरू करें ॐ का जाप…
सिर्फ शब्दों से नहीं, अपने अनुभव से जानिए ॐ की शक्ति को। सुबह या शाम कुछ पल निकालिए और इस दिव्य ध्वनि के साथ जुड़ जाइए। यकीन मानिए – जीवन बदल जाएगा।
FAQs:
Q1: ॐ का जाप कब करना चाहिए?
सुबह सूर्योदय के समय या शाम को ध्यान के साथ ॐ का जाप करना सर्वोत्तम होता है।
Q2: क्या ॐ का जाप बिना दीक्षा के किया जा सकता है?
हाँ, ॐ सार्वभौमिक मंत्र है – कोई भी श्रद्धा के साथ इसका जाप कर सकता है।
Q3: ॐ का कितनी बार जाप करें?
आप शुरुआत में 108 बार जाप करें, धीरे-धीरे समय के अनुसार बढ़ा सकते हैं।