श्री गणेश वंदना श्लोक
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ अर्थ:हे वक्रतुण्ड और विशालकाय, जो करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान हैं, मेरे सभी कार्यों को सदा निर्विघ्न करें।
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वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ अर्थ:हे वक्रतुण्ड और विशालकाय, जो करोड़ों सूर्यों के समान प्रकाशमान हैं, मेरे सभी कार्यों को सदा निर्विघ्न करें।
ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥ अर्थ:प्रभु हम दोनों की रक्षा करें, हमें साथ-साथ भोजन दें, हम मिलकर शक्ति के साथ कार्य करें, हमारे अध्ययन में तेजस्विता हो, हम एक-दूसरे से द्वेष न करें। शांति हो, शांति हो, शांति हो।
“कभी-कभी उत्तर नहीं, केवल मौन ही जीवन के सारे प्रश्नों का समाधान होता है।”
“जिन राहों पर दिशा नहीं दिखे, वहाँ ईश्वर का नाम सबसे बड़ा दीपक बनता है।”
“जिसने क्रोध को जीत लिया, उसने अपने भीतर के राक्षस को मार डाला।”
“हर सुबह ईश्वर का दिया एक नया अवसर है — बीते हुए को माफ़ करो, आने वाले को सुंदर बनाओ।”
“प्रार्थना से अधिक प्रभावशाली है निष्कलंक कर्म। जो अपने कार्य में ईमानदार है, वही ईश्वर के सबसे करीब है।”
“संसार की भागदौड़ में जब थक जाओ, तो कुछ पल अपनी आत्मा के साथ बैठो — वहीं शांति मिलेगी।”