प्रभु स्मरण श्लोक
कायेन वाचा मनसैन्द्रियैर्वा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात्। करोमि यद्यत्सकलं परस्मै नारायणायेतिसमार्पयामि॥ अर्थ:मैं जो भी कार्य करता हूँ — शरीर, वाणी, मन, इन्द्रियों, बुद्धि और आत्मा से, वह सब मैं भगवान नारायण को समर्पित करता हूँ।