Suggestions / Subscribe

Om Bhakti Vibes

Generic selectors
Exact matches only
Search in title
Search in content
Post Type Selectors

१०८ दिव्य नाम: आध्यात्मिकता का अद्भुत रहस्य

Table of Contents

१०८ दिव्य नाम – Bhakti Vibes Devotional Divine Names

सनातन धर्म में ‘१०८’ संख्या का विशेष महत्व है। यह केवल एक संख्या नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है। भगवान के १०८ दिव्या नामों का जप करना, साधना और ध्यान में अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह न केवल आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि भक्त को ईश्वर के करीब लाने में सहायक होता है।

इस ब्लॉग में, हम १०८ दिव्य नामों के रहस्य, उनके महत्व और उनके प्रभावों को विस्तार से समझेंगे।


१०८ संख्या का आध्यात्मिक रहस्य

संख्या ‘१०८’ केवल संख्याओं का मेल नहीं, बल्कि गूढ़ आध्यात्मिक और वैज्ञानिक तथ्यों से जुड़ी हुई है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और योग साधना में इस संख्या को विशेष स्थान प्राप्त है। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  1. वैदिक गणना के अनुसार: १ (संपूर्णता) + ० (शून्यता) + ८ (अनंतता) मिलकर १०८ का निर्माण करते हैं।
  2. ज्योतिष और खगोलशास्त्र में: सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी, तथा सूर्य का व्यास १०८ के गुणकों में पाए जाते हैं।
  3. योग साधना में: हमारे शरीर में १०८ ऊर्जा केंद्र होते हैं, जो आध्यात्मिक जागरण से जुड़े होते हैं।
  4. माला जप में: मंत्र जप के लिए १०८ मनकों वाली माला का उपयोग किया जाता है।

१०८ दिव्य नाम और उनका महत्व

भगवान के १०८ दिव्य नामों का जप भक्तों के लिए विशेष फलदायी होता है। प्रत्येक नाम एक विशेष ऊर्जा और प्रभाव को दर्शाता है। प्रमुख रूप से, विष्णु, शिव, देवी दुर्गा और अन्य देवताओं के १०८ नामों का जप करने से मनुष्य को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण नाम इस प्रकार हैं:

१. भगवान विष्णु के १०८ नाम

  1. अच्युत

  2. अनंत

  3. गोविंद

  4. जनार्दन

  5. माधव

  6. नारायण

  7. श्रीधर

  8. वासुदेव

  9. विष्णु

  10. केशव

  11. दामोदर

  12. हृषिकेश

  13. पद्मनाभ

  14. त्रिविक्रम

  15. नारसिंह

  16. वराह

  17. वामन

  18. हयग्रीव

  19. परशुराम

  20. रामचंद्र

  21. बलराम

  22. कृष्ण

  23. बुद्ध

  24. कल्कि

  25. गोपाल

  26. हरि

  27. जगन्नाथ

  28. मुकुंद

  29. मधुसूदन

  30. चक्रधर

  31. सहस्रशीर्षा

  32. पुरुषोत्तम

  33. आदिनाथ

  34. चतुर्भुज

  35. दीनबंधु

  36. गदाधर

  37. शरणागतवत्सल

  38. योगेश्वर

  39. ईश्वर

  40. श्रीनिवास

  41. वैकुंठनाथ

  42. सत्यनारायण

  43. पितामह

  44. संतनाथ

  45. प्रजापति

  46. यज्ञेश्वर

  47. विभु

  48. आदित्य

  49. हरिराम

  50. परमात्मा

  51. पुराणपुरुष

  52. सर्वेश्वर

  53. देवकीनंदन

  54. यशोदानंदन

  55. श्यामसुंदर

  56. परिपूर्ण

  57. शांताकार

  58. नीलमणि

  59. लक्ष्मीकांत

  60. सर्वसाक्षी

  61. सत्य

  62. कूटस्थ

  63. वेदांतवेद्य

  64. विश्वरूप

  65. अद्वितीय

  66. सुदर्शन

  67. गोवर्धनधारी

  68. करुणासागर

  69. भक्तवत्सल

  70. महायोगी

  71. देवेश

  72. ऋषिकेश

  73. शरण्य

  74. नरनारायण

  75. आत्माराम

  76. ब्रह्मरूप

  77. सच्चिदानंद

  78. सुमंगल

  79. भक्तप्रिय

  80. गुणनिधि

  81. मुरलीधर

  82. पुरुष

  83. सर्वात्मा

  84. सत्यधर्म

  85. अनघ

  86. भवबंधविमोचन

  87. सर्वोपकारी

  88. संतानगोपाल

  89. परब्रह्म

  90. त्रिलोकीनाथ

  91. क्षीरसागरशायी

  92. अद्वितीयानंद

  93. प्रभु

  94. अनिर्वचनीय

  95. आत्मलिंग

  96. चैतन्य

  97. विराट

  98. महादेव

  99. सहस्त्रार्जुन

  100. यज्ञपुरुष

  101. वेंकटेश्वर

  102. भगवान

  103. सिद्धेश्वर

  104. विश्वेश्वर

  105. युगादिपुरुष

  106. मकरकेतु

  107. नंदनंदन

  108. गोवर्धनगिरिधारी


२. भगवान शिव के १०८ नाम

  1. महादेव

  2. त्रिनेत्र

  3. रुद्र

  4. शंकर

  5. नटराज

  6. कालेश्वर

  7. गंगाधर

  8. पशुपति

  9. विष्णुवल्लभ

  10. चंद्रशेखर

  11. योगेश्वर

  12. कपालमाली

  13. त्र्यम्बक

  14. महामृत्युंजय

  15. भूतनाथ

  16. विश्वनाथ

  17. महाकाल

  18. सोमेश्वर

  19. नीलकंठ

  20. शिवशंकर

  21. अर्धनारीश्वर

  22. वेदांतसार

  23. आत्मलिंग

  24. गौरीशंकर

  25. वृषभवाहन

  26. महायोगी

  27. सिद्धेश्वर

  28. भैरव

  29. दिगंबर

  30. तपस्वी

  31. उमापति

  32. नागनाथ

  33. देवाधिदेव

  34. विश्वेश्वर

  35. चिदंबर

  36. परमेश्वर

  37. शम्भु

  38. दक्षयज्ञविनाशक

  39. पार्वतीनाथ

  40. अघोरनाथ

  41. भूतनाथ

  42. दयानिधि

  43. मृत्युंजय

  44. विश्वरूप

  45. अनंत

  46. चक्रधर

  47. हरि

  48. इंद्र

  49. गणनाथ

  50. भव

  51. ब्रह्मचारी

  52. रुद्रेश्वर

  53. वरद

  54. वज्रांग

  55. वज्रेश

  56. जटाधर

  57. तपोनिधि

  58. हरिहरात्मज

  59. हरीनाथ

  60. कालभैरव

  61. ओंकारेश्वर

  62. आत्मेश्वर

  63. कार्तिकेयपिता

  64. विद्याधर

  65. सर्पेश्वर

  66. कालनेमि

  67. ब्रह्मेश

  68. सृष्टिकर्ता

  69. आदियोगी

  70. सर्वात्मा

  71. मनोजव

  72. अद्वितीय

  73. ललाटाक्ष

  74. सुरेश्वर

  75. दिव्यरूप

  76. मुक्तिदाता

  77. सच्चिदानंद

  78. सर्वेश

  79. ईश्वर

  80. अनिरुद्ध

  81. अनादि

  82. निर्गुण

  83. विश्वरूप

  84. भक्तवत्सल

  85. गिरीश

  86. भूतभावन

  87. सिद्धेश्वर

  88. वज्रदंष्ट्र

  89. शत्रुनाशक

  90. अधोमुख

  91. आत्मबोध

  92. महादान

  93. महारुद्र

  94. सर्वज्ञ

  95. ब्रह्म

  96. चंद्रेश्वर

  97. सत्यरूप

  98. सृष्टिनायक

  99. ब्रह्माण्डेश्वर

  100. आनंदस्वरूप

  101. शिव

  102. अद्वैत

  103. धर्मरूप

  104. शिवशरण

  105. कृपानिधि

  106. परमेश्वर

  107. ब्रह्मस्वरूप

  108. शांत


१०८ दिव्य नामों के जप का प्रभाव

भगवान के १०८ नामों का जप करने से मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ होते हैं। आइए जानते हैं इन प्रभावों को:

१. मानसिक शांति और ध्यान की शक्ति

मंत्रों के उच्चारण से मन शांत होता है और ध्यान की क्षमता बढ़ती है। १०८ नामों का जप करने से मानसिक चंचलता कम होती है।

२. नकारात्मक ऊर्जा का नाश

दिव्य नामों के नियमित जप से घर और व्यक्ति के चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा बनती है, जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है।

३. आध्यात्मिक जागरण

१०८ नामों का जप करने से व्यक्ति के भीतर ईश्वर के प्रति भक्ति और श्रद्धा बढ़ती है। इससे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

४. कर्म बंधनों से मुक्ति

जो व्यक्ति भगवान के १०८ नामों का जप करता है, वह अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष के पथ पर अग्रसर होता है।


१०८ दिव्य नामों का जप कैसे करें?

१०८ दिव्य नामों का जप करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनानी चाहिए:

  1. शुद्धता: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और एक शांत स्थान पर बैठें।
  2. माला का उपयोग करें: तुलसी या रुद्राक्ष माला का उपयोग करके १०८ बार नामों का जप करें।
  3. ध्यान और भावना: भगवान का ध्यान करते हुए प्रेम और श्रद्धा से जप करें।
  4. नियमितता: प्रतिदिन प्रातः और सायं काल में जप करें।

निष्कर्ष

१०८ दिव्य नाम केवल उच्चारण मात्र नहीं हैं, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और परमात्मा से जोड़ने का एक दिव्य मार्ग है। यह जप करने से न केवल आध्यात्मिक जागरण होता है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार भी होता है।

यदि हम प्रतिदिन भगवान के १०८ नामों का जप करें, तो निश्चित रूप से हमारा जीवन आनंद और भक्ति से भर जाएगा। तो आइए, इस आध्यात्मिक यात्रा पर आगे बढ़ें और १०८ दिव्या नामों का जप कर ईश्वर की कृपा प्राप्त करें।

Leave a Comment

Share the Post:

Related Posts