नास्ति मेघसमं तोयं नास्ति चात्मसमं बलम्।
नास्ति चक्षुःसमं तेजो नास्ति च माता समा गति:॥
(बादल के समान कोई जल नहीं, आत्मबल के समान कोई बल नहीं, आँखों के समान कोई तेज नहीं और माता के समान कोई गति नहीं।)
नास्ति मेघसमं तोयं नास्ति चात्मसमं बलम्।
नास्ति चक्षुःसमं तेजो नास्ति च माता समा गति:॥
(बादल के समान कोई जल नहीं, आत्मबल के समान कोई बल नहीं, आँखों के समान कोई तेज नहीं और माता के समान कोई गति नहीं।)